भोपाल। हमारे देश में 700 से ज्यादा आदिवासी समुदाय निवास करते हैं, लेकिन उनकी भाषाये-बोलियां इससे कहीं अधिक हैं। भाषा एवं संस्कृति का संरक्षण करना और उसे संजोकर रखना हम सबका दायित्व है। हमारा प्रयास होना चाहिये कि हमारी संस्कृति, लोकाचार, रीति-रिवाज को सुरक्षित रखते हुए जनजातीय समुदाय के युवा आधुनिक विकास में भागीदार बनें। यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कही।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत की लोक एवं जनजाति अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव ‘उत्कर्ष’ और ‘उन्मेष’ का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र प्रेम और विश्वबंधुत्व के आदर्श का चिंतन हमारी धाराओं में सदैव दिखाई देता रहता है। हमारी परंपरा में यत्र विश्वम् भत्येकनीडम् (सारा विश्व चिड़ियों का एक घोंसला बनकर रहे) की भावना प्राचीनकाल से है।
उन्होंने कहा कि मानवता का वास्तविक इतिहास विश्व के महान साहित्य में ही मिलता है। साहित्य मानवता का आईना है। साहित्य मानवता को बचाता है और आगे बढ़ाता भी है। साहित्य और कला संवेदनशीलता, करुणा और मनुष्यता को बचाती है। विश्व आज गंभीर चुनौतियों से गुजर रहा है। विभिन्न संस्कृतियों में आपसी समझ विकसित करने में साहित्य और कला का महत्वपूर्ण योगदान है। साहित्य वैश्विक समुदाय को शक्ति प्रदान करता है। साहित्य की कालातीत श्रेष्ठता से हर व्यक्ति परिचित है। साहित्य आपस में जुड़ता भी और जोड़ता भी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयता के गौरव पर जोर देने वाले रचनाकारों की इतनी विशाल परंपरा विकसित हुई है कि एक संबोधन में सबका उल्लेख करना असंभव है। भारत के पुनर्जागरण और स्वाधीनता संग्राम के कालखंड में लिखे गए उपन्यास, कहानियां, कविताये और नाटक आज भी लोकप्रिय हैं। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के ऐतिहासिक पड़ाव में हमें यह विचार करना है कि क्या वर्तमान में ऐसा साहित्य का उन्मेष देख रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में पाठक की भागीदारी हो। आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है और सभी भाषाये एवं बोलियां मेरी अपनी हैं।
इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह एक अलग दौर है। ‘उत्कर्ष’ और ‘उन्मेष’ जैसे आयोजन सारी दुनिया को एकत्र करने में समर्थ और सक्षम होते हैं।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश में विभिन्न संस्कृतियां, 21 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ अनेकता में एकता के सूत्र से बनी माला के मनकों के समान एक साथ, एकजुट होकर रह रही हैं। ‘उत्कर्ष’ और ‘उन्मेष’ भारत की विभिन्न परंपराओं को जोड़ने का प्रयास है।
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष संध्या पुरेचा, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव उमा नंदूरी ने कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह संयोग है कि राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी सर्वाधिक यात्राये मध्य प्रदेश में हुर्ह हैं। मैं आज पांचवीं बार मध्य प्रदेश की यात्रा पर आयी हूँ। मैं यहां के आठ करोड़ निवासियों को मेरे आत्मीय स्वागत के लिये धन्यवाद देती हूँ।