प्रदेश के तीन युवा वैज्ञानिको ने चंद्रयान-3 मिशन में निभायी महत्वपूर्ण भूमिका

भोपाल। 23 अगस्त का दिन भारत के लिये बड़ी उपलब्धि लेकर आया।
इसरो के द्वारा भेजे गये चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरकर इतिहास रच दिया।
देश को मिली इस बड़ी उपलब्धि में मध्य प्रदेश के तीन युवा वैज्ञानिको का भी बड़ा योगदान रहा। छोटे शहर और गांव से निकलकर ये वैज्ञानिक इसरो तक पहुचे।
प्रदेश के लिये गर्व का विषय है कि बालाघाट, सतना एवं रीवा जिले से निकलकर युवा वैज्ञानिको ने मिशन चंद्रयान – 3 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुये देश ही नहीं पूरे विश्व में परचम गाड़ा है।
मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बालाघाट जिले के बिरसा तहसील में छोटे-से गांव कैंडाटोला के रहने वाले महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 मिशन में वेकल टीम के प्रोजेक्ट मैनेजर रहे। यह टीम चंद्रयान-3 की लांचिंग एक्टिविटी में शामिल रही। महेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में ही हुई, इसके बाद रायपुर के साइंस कॉलेज में उन्होंने स्नातक किया। इसके बाद दिल्ली आईआईटी से महेंद्र ने उच्च शिक्षा ली। यहीं से कैंपस प्लेसमेंट में उनका चयन इसरो में हुआ था।
सतना जिले के छोटे से गांव करसरा के युवा वैज्ञानिक ओम प्रकाश पांडेय ने इंदौर में मास्टर्स की पढ़ाई करने के बाद 5 वर्ष पूर्व इसरो कार्यभार ग्रहण किया था। ओम प्रकाश जिस टीम का हिस्सा थे उसका काम चंद्रमा के परिक्रमा पथ को बड़ा करने के साथ उसकी निगरानी करने का रहा।
रीवा के छोटे से गांव इटौरागढ़ के तरुण सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। इसके बाद सैनिक स्कूल रीवा में 12वीं करने के बाद एसजीएसआईटीएस इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की और फिर इसरो से जुड़ गये। चंद्रयान 3 मिशन के लिये तरुण सिंह को पेलोड क्वालिटी एश्योरेंस की जिम्मेदारी दी गयी है। यह सैटेलाइट का कैमरा है जो चंद्रमा की तस्वीरें लेकर डाटा कोड में भेजेगा।

 

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