पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ आरक्षक ने किया करोड़ का घोटाला

शिवपुरी। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ आरक्षक (कंप्यूटर ऑपरेटर) द्वारा करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया गया।
जानकारी के मुताबिक आरक्षक ने सरकारी बिलों की राशि अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर दी। जिसकी किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगी। इस पूरे मामले की जांच के लिये टीम गठित की गयी है।
शिवपुरी जिले में कंप्यूटर ऑपरेटरो द्वारा सरकारी कोष में सेंध लगाने के मामले लगातार प्रकाश में आ रहे हैं।
अब एक ताज़ा मामला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सामने आया है।
कंप्यूटर आपरेटर के पद पर तैनात आरक्षक द्वारा पुलिस अधीक्षक की नाक के नीचे बैठकर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम दे दिया।
कंप्यूटर आपरेटर आरक्षक अपनी पत्नी के खाते में सरकारी बिलों का भुगतान करता रहा और किसी को कानों-कान भनक तक नहीं लगी।
बताया जा रहा है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कंप्यूटर आपरेटर के पद पर पदस्थ आरक्षक मुकेश सविता पिछले कई वर्षो से सरकारी बिलों में सेंध लगाता आ रहा है। वह जो भी बिल भुगातन के लिये प्रोसेस में लाता था, उक्त बिल में वह कुछ कर्मचारियों का अथवा कुछ मदों का भुगतान अपनी पत्नी के खाते में डाल रहा था। खास बात यह है कि वर्षो से भुगतान में हो रही इस गड़बड़ी का किसी को कुछ पता नहीं चला।
जब भोपाल में वित्त विभाग में यह बात सामने आयी कि शिवपुरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लगातार कुछ संदिग्ध भुगतान पिछले कई वर्षो से हो रहे हैं। इस पर प्रारंभिक तौर पर पड़ताल में घोटाले की सुगबुगाहट सामने आ गयी।
इस पर वित्त विभाग में ग्वालियर जेडी कोष लेखा को जांच के आदेश जारी किये हैं।
ग्वालियर जेडी कोष लेखा ने दो सहायक लेखा अधिकारियों की टीम बनाकर शिवपुरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय भेजी है।
यह टीम पिछले कुछ दिनों से गुपचुप तरीके से एक-एक बिल की जांच करने में लगी हुई है।
बताया जा रहा है कि अभी यह जांच लगातार जारी रहेगी और आगामी एक सप्ताह बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि वास्तविकता में कितने रुपये का बोगस भुगतान किया गया है।
वित्त विभाग से जुड़े विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि कंप्यूटर ऑपरेटर ने करीब तीन करोड़ से ऊपर के फर्जी भुगतान किये हैं।
वित्त विभाग ने प्रारंभिक तौर पर संदिग्ध भुगतान 2018-19 से पकड़े हैं। ऐसे में वित्त विभाग द्वारा बिलों की जांच के लिये गठित की गयी टीम को वर्ष 2018-19 से किये गये सभी भुगतानों की जांच करने के निर्देश दिये हैं। ऐसे में टीम अब पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बैठकर हर मद में हुए भुगतान के एक-एक बिल को चैक कर रही है।
सूत्र बताते हैं कि बिलों के क्रास चैक उपरांत वित्त विभाग के सहायक संचालक स्तर के अधिकारी शिवपुरी पहुंचेंगे जो पूरे मामले की बारीकी से जाँच करेंगे।
पुलिस अधीक्षक रघुवंश भदौरिया ने भी इस पूरे मामले के संज्ञान में आने के उपरांत तत्काल कार्यवाही करते हुए आरक्षक मुकेश सविता को पद से निलंबित कर दिया है। इसके अलावा वित्त विभाग के जांच दल से अतिरिक्त पुलिस विभाग का एक जांच दल गठित किया है। यह जांच दल भी अपने स्तर पर पूरे घोटाले की जांच करेगा।
पुलिस अधीक्षक के अनुसार फिलहाल जांच चल रही है। और जांच पूरी होने के बाद ही यह सामने आ पायेगा कि कितने पैसों का घोटाला किया गया है।

 

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