मंदसौर। जिले के गांधी सागर अभयारण्य से तेंदुओं को पकड़कर अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा।
वन विभाग द्वारा पांच तेंदुओं को अभयारण्य से पकड़कर दूसरे जंगल में छोड़ा गया है। अन्य तेंदुओं की भी तलाश और उन्हें पकड़ने का अभियान चलाया जा रहा है।
दरअसल, मध्य प्रदेश का गांधी सागर अभयारण्य चीतों के दूसरे रहवास के रूप में तैयार किया जा रहा है। चीता को तेंदुए से खतरा होता है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है। यहां कान्हा, सतपुड़ा और संजय बाघ अभयारण्यों से चीतों की खुराक के लिए 300 से अधिक चीतल लाए जा रहे हैं।
मंदसौर जिले में गांधी सागर अभयारण्य 64 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो तार वाली बाड़ से सुरक्षित है।
गौरतलब है कि बीते दिनों केन्या और दक्षिण अफ्रीका की टीमों ने भी चीतों के पुनरुद्धार की स्थितियों का आकलन करने के लिए गांधी सागर अभयारण्य का दौरा किया था। इसके बाद तैयारी तेज गति से की जा रही है।
चीता परियोजना के तहत 17 सितंबर, 2022 को 8 नामीबियाई चीतों, 5 मादा और 3 नर को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान के बाड़ों में छोड़ा गया था। फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए।
इस माह की प्रारम्भ में मादा चीता गामिनी से जन्मे एक शावक की मौत के साथ अब चीतों की संख्या 26 है, जिसमें नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 13 वयस्क शामिल हैं। मंदसौर जिले का गांधी सागर अभयारण्य कूनो राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 270 किमी दूर है। इधर, गांधी सागर में चीता पुनर्वास का पुराना प्लान निरस्त कर नया प्लान स्वीकृत कर दिया गया।
वन विभाग ने वन मंडल मंदसौर के अंतर्गत गांधी सागर अभयारण्य अंतर्गत चीता पुनर्वास के लिए वन्य प्राणी संरक्षण एवं रहवास विकास कार्यों के लिए 31 अगस्त 2022 को 84 लाख रुपये के चार वर्षीय प्रोजेक्ट को स्वीकृत किया था, लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया गया है। इसके पीछे कारण बताया गया कि यह प्रोजेक्ट वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन प्लान के अनुरूप नहीं था। इसके स्थान पर अब 10 वर्षीय प्लान स्वीकृत किया गया है, जिसमें 43 लाख 20 हजार रुपये की राशि मंजूर की गई है। यह राशि टाइगर फाउंडेशन समिति से ली जाएगी।