बिजली की अघोषित कटौती ने बिगाड़े हालात, गर्मी में मेंटेनेंस के नाम पर हो रही बिजली कटौती, बिना मीटर रीडिंग के मनमाना बिल बाट रहा विभाग

सीधी। इन दिनों आसमान से सूरज आग बरसा रहा है, तथा पारा भी 40 डिग्री तक पहुंच गया। ऐसे में यदि बिजली गुल हो जाए तो लोगों को किसी बड़ी सजा से कम नहीं लगता।
सीधी जिले अन्तर्गत अमिलिया चमरौहा में ऐसे बहुत घर है जिनमे मीटर नहीं लगाया गया, फिर भी बिजली बिल बढ़ चढ़ कर दिया जा रहा हैं। ग्रामीणो को ब्लैक मेल किया जा रहा। कोर्ट की नोटिस देकर जबरदस्ती बिल जमा कराया जाता है, प्राइवेट लोगों से बिल की वसूली की धमकियां दी जाती है।
यह हालात तब है, जबकि हर दिन मेंटेनेंस के नाम पर जिले के किसी भी एक बड़े क्षेत्र में 5 से 6 घंटे तक कटौती की जा रही है। बावजूद इसके जब भी किसी क्षेत्र की बिजली गुल होती है, तो जिम्मेदार फाल्ट होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
पहले प्री-मानसून मेंटेनेस के नाम पर कटौती की जाती थी, लेकिन अब जिले में हर दिन मेंटेनेस के नाम पर कटौती करने के बाद भी लोगों को बिना बिजली के भीषण गर्मी के दौरान घंटों रहना पड़ रहा है।
जिले में पिछले तीन दिन से तापमान 40 डिग्री के आसपास है, तथा आसमान साफ होने की वजह से सुबह से धूप की तपन देर शाम तक लोगों को परेशान कर रही है। ऐसी भीषण गर्मी में धूप की तपन से बचने के लिए लोग या तो पेड़ की छांव ढूंढते हैं, या फिर कमरे में ही रहते हैं। ऐसे में जब तक पंखे व कूलर चल रहे है, तब तक तो ठीक है, लेकिन जैसे ही बिजली गुल होती है तो ऐसे हालातों में लोगों को किसी सजा से कम नहीं लगता। यदि बिजली 10-15 मिनिट के लिए जाए तो भी लोग समझौता कर ले, लेकिन जब 2 से 3 घंटे तक बिजली गुल होती है तो फिर लोगों की बेचैनी बढ़ जाती है। ऐसे में उम्रदराज लोगों के अलावा बीपी सहित अन्य बीमारियों के मरीजों की हालत बिजली गुल होने के बाद बिगडने लगती है।
सुबह से लेकर रात तक बिजली कितनी बार जाती है, इसका कोई भरोसा नहीं है। आसमान से आग बरस रही है, ऐसे में पंखा-कूलर बंद होते ही घबराहट होने लगती है। पिछले दिनों में तो केबल बदलने के नाम पर सुबह से शाम तक कटौती के बीच तबियत भी बिगड़ गई थी। पहले तो साल में एक बार मानसून से पहले मेटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती की जाती थी, लेकिन वो भी कुछ घंटे की होती थी, लेकिन अब तो 5 से 6 घंटे तक बिजली गुल होने से हालत खराब हो जाती है। गर्मी के बीच बिजली कटौती किसी सजा से कम नहीं लगती।
प्रशासन से ग्रामीण जनता की मांग है अवैध बिल ना दिया जाय।

 

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