कागजों में सिमटी योजना, जिले में नहीं शुरू हो पाया एक भी ‘दीदी कैफे’

सीधी। जिले की ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हे रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रदेश शासन द्वारा संचालित की गई थी दीदी कैफे योजना।
लेकिन यह योजना सीधी जिले में औंधे मुंह दम तोड़ती नजर आ रही है।
यहां अभी तक एक भी महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से दीदी कैफे नहीं शुरू किया जा सका है। जिसके कारण आजीविका मिशन द्वारा इन महिला स्व सहायता समूहों के गठन और इनके प्रशिक्षण पर साल भर खर्च की जाने वाली रकम के औचित्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर महिलाएं भी इस क्षेत्र में आगे नहीं आ पा रही है।
गौरतलब है कि मप्र शासन द्वारा आजीविका मिशन के तहत गठित किए जाने वाले महिला स्व सहायता समूहो की महिलाओं को रोजगार के बेहतर और सम्मान जन माध्यम उपलब्ध कराने के लिए दीदी कैफे योजना पहले प्रदेश स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई। जिसके बाद इसे प्रत्येक जिले के लिए प्रभावी बना दिया गया।
इस योजना के तहत आजीविका मिशन के अधिकारियों और प्रशिक्षकों द्वारा समूहों की महिलाओं को मोटीवेट और प्रशिक्षित करने के बाद उन्हे दीदी कैफे शुरू कराने के लिए माकूल इंतजाम और जगह मुहैया करानी थी।
लेकिन जानकारी के अनुसार आजीविका मिशन के प्रबंधकों ने महज महिला समूह को ही कलेक्ट्रेट कार्यालय की कैंटीन के रूप में दीदी कैफे शुरू कराने के नाम पर भी चुप्पी साध ली।
बता दे कि वर्तमान में सीधी जिले के 5 विकासखंडों में वर्तमान में करीब 9 हजार 7 सौ महिला स्व सहायता समूह गठित हैं। जिन्हे आजीविका मिशन ने बाकायदा प्रशिक्षण भी प्रदान कर दिया है।
जिले के सभी विकासखंडों और तहसील कार्यालयों के अलावा अन्य सरकारी दफ़्तरो में दीदी कैफे का संचालन शुरू किया जा सकता है। यदि ऐसा संभव होता है बड़ी संख्या में महिला स्व सहायता समूहों को रोजगार का माध्यम मिल सकेगा।
ग्रामीण विकास विभाग द्वारा शुरू की गई दीदी कैफे योजना ऐसी महिलाओं के लिए है जो निर्धन है एवं जो प्राथमिक शिक्षा के बाद ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाईं। इस प्रकार की महिलाओं को स्व.सहायता समूह का सदस्य बनाया जाता है। स्व सहायता समूह की मदद से पूंजी का इंतजाम भी कराया जाता है।
दीदी कैफे योजना के तहत महिलाओं को कैंटीन का संचालन करना होता है। जिसमें स्थानीय मान के अनुसार चाय नाश्ता उपलब्ध कराया जाता है।
इनके संचालन के लिए कलेक्टर ऑफिस, जिला पंचायत परिसर, जनपद पंचायत परिसर और इस प्रकार के सरकारी भीड़ वाले स्थानों पर कैफे खोलने के लिए जगह उपलब्ध कराई जाती है।

 

Next Post

एम्स भोपाल के डॉ. पुनीत अग्रवाल ने तुर्की में अपना शोध किया पेश

भोपाल। राजधानी के एम्स के जनरल सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पुनीत अग्रवाल ने तुर्की में आयोजित विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा पर वर्तमान रुझानों पर आयोजित द्वितीय अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस और प्रदर्शनी स्किटेड में अंडरग्रेजुएट सर्जरी छात्रों को पढ़ाने के लिए संयुक्त ई-लर्निंग दृष्टिकोण पर अपना शोध प्रस्तुत किया। सम्मेलन […]