इंदौर। मिशन मंगल एवं चंद्रयान के बाद अब विज्ञान के क्षेत्र में नई पौध को तैयार करने के लिए एक अनूठा प्रयास इंदौर जिले के विद्यालयों में हो रहा है।
रॉकेट साइंस क्या है, अंतरिक्ष में ग्रहों की स्थिति कैसे ज्ञात होती है, आसमान नीला क्यों दिखाई देता है?
ऐसी तमाम प्रश्नों के उत्तर देने की यह कोशिश मोटी फीस वाले निजी स्कूलों में नहीं, बल्कि सरकारी विद्यालयों में हो रही है। जिला प्रशासन द्वारा जिले के छह सरकारी स्कूलों में एस्ट्रोनामी लैब तैयार की गई हैं। यहां पूरे कक्ष को अंतरिक्ष का रूप दिया गया है।
यहां रॉकेट के बारे में समझाने के लिए जीएसएलवी रॉकेट का छह फीट का मॉडल रखा है। साथ ही सितारों के माध्यम से राशि का पता लगाने के यंत्र भी हैं। इन लैब्स को दिल्ली की स्पार्क एस्ट्रोनॉमी द्वारा तैयार किया गया है।
संस्था के जितेश शर्मा ने बताया कि जिले के बाल विनय मंदिर, उमरीखेड़ा, सांवेर, देपालपुर, महूगांव और बजरंग नगर स्थित सरकारी स्कूल में यह लैब तैयार की गई है।