आरजीपीवी में एक साल बाद भी नहीं सुलझा पदोन्नति प्रक्रिया का मसला, जांच समिति ने भी उठाए सवाल

भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में चहेतों को नियमो को ताक में रखकर पीएचडी कराने और करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत 18 शिक्षकों को एसोसिएट प्रोफेसर से प्रमोशन देकर प्रोफेसर बनाने की प्रक्रिया विवादों में फंस गई है।
इस मामले में जांच समिति का आरोप है कि बिना स्क्रूटनी के साक्षात्कार कैसे ले लिया गया। इतना ही नहीं, इस प्रक्रिया में आल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया गया।
बता दें कि मामले में तकनीकी शिक्षक संघ ने राज्यपाल और विभाग प्रमुख से जांच की मांग की है।
शिक्षक संघ के मुताबिक विवि ने यूजीसी रेगुलेशन-2009 के मापदंड के अनुसार पीएचडी कराए बिना ही करियर एडवांसमेंट स्कीम में 18 शिक्षकों को पीएचडी डिग्रीधारक बता दिया।
संघ ने शिक्षकों के नामों की सूची जारी करते हुए कहा है कि इनको फायदा पहुंचाने के लिए विवि ने राजपत्र में उल्लेखित नियमों का पालन नहीं किया। इनमें 18 लोगों के पास न तो पीएचडी की डिग्री है और ना ही इन्हें पढ़ाने का कोई अनुभव है।
बता दें कि तकनीकी शिक्षक संघ के आरोपों के बाद ही विवि ने जांच समिति गठित की थी।
समिति ने भी विवि को रिपोर्ट सौंपकर यही पूछा कि इस योजना के तहत अपात्रों का साक्षात्कार कैसे लिया गया और किस नियमों के तहत नियुक्ति देने की प्रक्रिया चल रही है।
समिति में सीमा सक्सेना, प्रशांत जैन, एससी चौबे सहित दो अन्य सदस्य शामिल हैं।
जांच समिति ने सवाल उठाया है कि एआईसीटीई के रेगुलेशन 4.3 के तहत शिक्षक प्रशिक्षण का माड्यूल अनिवार्य है, जिसे किसी ने भी नहीं किया है। इसके साथ ही सक्सेसफुली गाइडेडस नहीं है, जिसके तहत पीएचडी अवार्डेड होना चाहिए। यूजीसी रेगुलेशन-2009 आने के बाद विवि ने 2010 में कुछ अपात्रों का पीएचडी रजिस्ट्रेशन किया और मापदंडों के अनुसार कोर्स वर्क व अन्य अनिवार्य कार्य के बिना ही उन्हें पीएचडी की उपाधि दे दी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एमफिल और पीएचडी उपाधि के लिए जिसे न्यूनतम मानक माना था, आरजीपीवी में इसको लगभग एक वर्ष की देरी से 28 जून 2010 से प्रभावी किया गया, जिससे चहेतों को पीएचडी पुराने नियमों के अनुसार कराई जा सके। इसके बाद विवि में चहेतों को करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रमोशन का लाभ दिया जा रहा है।
दो माह पहले कार्यपरिषद (ईसी) की बैठक में भी करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत शिक्षकों के प्रमोशन को रोका गया था।
ईसी के सदस्यों ने निर्णय लिया था कि सबसे पहले स्क्रूटनी कमेटी शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करे। इसके बाद ही इस मामले पर आधारित प्रस्ताव को ईसी में रखा जाए।
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलसचिव आरएस राजपूत ने बताया कि करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत प्रमोशन के मामले में समिति ने कुछ बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं। यह आंतरिक मामला है। कुछ बिंदुओं पर जांच कर रिपोर्ट कार्यपरिषद में रखी जाएगी।

 

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