इंदौर। शहर कांग्रेस कमेटी ने पिछले दिनों देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में एमबीए पेपर लीक मामले में एक जांच कर उसकी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस को भेजी है। खास बात यह है कि जिन नेताओं ने इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट आलाकमान को भेजी है, उन नेताओं ने अपने मन से ही यह जांच कर ली।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है जिन नेताओं ने जांच की है उन्होंने खुद से ही एक कमेटी का गठन किया और जांच कर ली। जबकि, जांच करने के लिए प्रदेश के पदाधिकारी जांच कमेटी गठित करते है।
कांग्रेस नेताओं ने जो रिपोर्ट बनाकर भेजी है, उसमें लिखा है कि पिछले दिनों डीएवीवी में पेपर लीक हुआ था, जो की अक्षय बम के आयडेलीक कॉलेज से हुआ था। जिसको लेकर शहर कांग्रेस के छात्र नेताओं द्वारा आंदोलन किया गया और पेपर लीक कांड की जांच करने के लिए देवी अहिल्या विश्वविद्यालय और पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौपा गया था। जिसमें अक्षय बम के आयडेलीक कॉलेज के तीन कर्मचारियों को पेपर लीक करके बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर उनपर मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने पुलिस जांच का इंतजार ना करते हुए अपनी जांच रिपोर्ट में कॉलेज संचालक अक्षय बम के आयडेलिक कॉलेज की मान्यता रद्द ना करते हुए केवल पाँच लाख रुपये का जुर्माना करते हुए 3 साल के लिए परीक्षा केंद्र हटाने का एकतरफा फैसला कर लिया। जो सीधे सीधे अक्षय बम के कॉलेज को बचाने के लिए लिया गया।
कांग्रेस नेताओं ने रिपोर्ट में आगे लिखा की जब कॉलेज की प्राचार्य ने यह स्वयं स्वीकार किया कि गलती हुई है। पेपर पुलिस थाने पर न रखते हुए कॉलेज में रखा गया था। नियमों को ताक में रखा गया था, उन्होंने लिखित में अपनी गलती मानी है। तब भी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा अक्षय बम एवं उसके आयडेलिक कॉलेज को नाम मात्र का जुर्माना कर सीधे-सीधे बचाने की कोशिश की गई है। जांच रिपोर्ट में कमेटी ने यह बताया है कि अक्षय बम एवं उनके कॉलेज और प्राचार्य जो कि सीधे-सीधे दोषी है।