उज्जैन। श्रावण मास के प्रथम सोमवार को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकली।
पांच किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर तीन घंटे तक भक्ति का उल्लास छा गया।
देशभर से हजारों श्रद्धालु सवारी मार्ग पर चांदी की पालकी में विराजित भगवान महाकाल के मनमहेश रूप की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े।
महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में पूजन के पश्चात शाम 4 बजे सवारी प्रारम्भ हुई जो कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। जहां पुजारी ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजन अर्चन किया।
पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, जगदीश मंदिर, ढाबारोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए शाम को सवारी पुन: मंदिर पहुंगी। सवारी में सबसे आगे मंदिर का प्रतिनिधित्व करता चांदी का ध्वज रहा।
वही, भगवान महाकाल की सवारी के पीछे पुलिस का अश्वरोही दल, पुलिस बैंड, सशस्त्र बल की टुकड़ी शामिल रही।
बता दे कि सवारी में यह पहली बार भगवान महाकाल की सवारी में दो एलईडी रथों को शामिल किया गया। रथ की विशेषता यह है कि इसमें लाइव बाक्स था, जिससे निर्बाध रूप से लाइव प्रसारण होता रहा। एक रथ सवारी में सबसे आगे चला, तो दूसरा रथ पीछे।
रविवार को अत्याधुनिक रथ महाकाल मंदिर कार्यालय पहुंचा था।
वही, सवारी में पहली बार जनजातीय कलाकारों का दल ने अपनी प्रस्तुति दी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा के अनुरूप सवारी में लोककलाकारों के दल को शामिल किया गया। वही, अब तक सवारी में केवल नौ परंपरागत भजन मंडल व झांझ डमरू दल ही शामिल होते आए हैं।