दक्षिण अफ्रीका से जेब्रा और जिराफ लाने की तैयारी कर रही प्रदेश सरकार, भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में बनेगा विशेष बाड़ा

DR. SUMIT SENDRAM

भोपाल। चीतों के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार दक्षिण अफ्रीका से जेब्रा और जिराफ की तैयारी में जुटी है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड का उपयोग कर जिराफ और जेब्रा लाया जायेगा। साथ ही फंड का उपयोग अन्य कार्यों में भी किया जाएगा।
पहले चरण के लिए वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल के लिए जिराफ और जेब्रा लाए जाएंगे। इसके लिए अलग से विशेष बाड़ा बनाएगा जाएगा, ताकि उन्हें अनुकूल माहौल दिया जा सके। इसके बाद अन्य राष्ट्रीय उद्यान में भी विदेश से अलग-अलग प्रजाति के वन्य जीव लाए जाएंगे।
इसके लिए विभिन्न शासकीय, अशासकीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक बैठक भी हो चुकी है। अब सीएसआर कॉन्क्लेव की कार्यशाला भोपाल में प्रस्तावित है, जिसमें आगे की प्रक्रिया पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक जेब्रा और जिराफ अर्ध-शुष्क जलवायु में रह सकते हैं। प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया है कि भोपाल की जलवायु उनके अनुकूल है। वे पौधों की पत्तियां, फल और फूल खाते हैं। मुख्य रूप से बबूल की प्रजातियां उन्हें पसंद हैं, जो वन विहार और आसपास पर्याप्त मात्रा में है।
बता दें, कोलकाता, मैसूर और पुणे सहित देश के 11 चिड़ियाघरों में लगभग 30 जिराफ हैं।
चीता लाने के पूर्व दक्षिण अफ्रीका गए वन मंत्री विजय शाह ने लौटकर जिराफ और जेब्रा लाने की घोषणा की थी।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने योजना को मंजूरी भी दे दी है। युवा नर और मादा जिराफ एवं जेब्रा लाए जाएंगे, ताकि उनकी वंशवृद्धि भी हो सके। उन्हें समुद्री मार्ग से यहां लाया जा सकता है। हालांकि यह उस देश के विशेषज्ञों से बात करके तय होगा, जिस देश से जिराफ और जेब्रा लाए जाएंगे।

 

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