भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्ष बाद भी धरती के नीचे दबा है जहरीला कचरा, अब तक नहीं हुआ जहरीले कचरे का निस्तारण

DR. SUMIT SENDRAM

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल आगामी तीन दिसंबर को पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन गैस पीड़ितों को लेकर सरकारी वादों और जमीनी स्थिति में बहुत अंतर है।
इतने वर्षो के बाद भी जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड परिसर में दबा है। इस कारण भूजल प्रदूषित होने की बात सत्यापित हो चुकी है।
वर्ष 2018 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च लखनऊ की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आ चुके है।
रिपोर्ट के मुताबिक यूनियन कार्बाइड परिसर के आसपास की 42 बस्तियों के भूजल में हेवी मेटल, आर्गनो क्लोरीन पाया गया था, जो कैंसर व किडनी की बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
आशंका जताई गई कि इन कॉलोनियों के अतिरिक्त प्रदूषित भूजल आगे पहुंच गया हो, परन्तु वर्ष 2018 के बाद जांच ही नहीं कराई गई।
गैस पीड़ित संगठन के कार्यकर्ताओं का दावा है कि रैपिड किट से उन्होंने इनके अतिरिक्त कारखाने की साढ़े तीन किमी की परिधि में आने वाली 29 अन्य कॉलोनियों में भी जांच की तो आर्गनो क्लोरीन मिला है, पर किस मात्रा में है, इसकी जांच बड़े स्तर पर सरकार द्वारा कराने की आवश्यकता है।
गैस पीड़ितों के लिए कार्य करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने बताया कि त्रासदी के पहले परिसर में ही गड़्ढे बनाकर जहरीला रासायनिक कचरा दबा दिया जाता था। इसके अतिरिक्त परिसर में बनाए गए तीन छोटे तालाबों में भी पाइप लाइन के माध्यम जहरीला अपशिष्ट पहुंचाया जाता था।
इस कचरे की कोई बात ही नहीं हो रही। कारखाने में रखे कचरे को नष्ट करने के लिए 126 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसे पीथमपुर में जलाया जाना है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गैस पीड़ितों के पुनर्वास के लिए वर्ष 2010 में 272 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे। इसमें 75 प्रतिशत राशि केंद्र व 25 प्रतिशत राज्य सरकार की थी। इसमें भी 129 करोड़ रुपये आज तक खर्च नहीं हो पाए हैं।
गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग आज तक इस राशि को खर्च करने की योजना ही नहीं बना पाया है। वही, आर्थिक पुनर्वास के लिए 104 करोड़ रुपये मिले थे। इसमें 18 करोड़ रुपये स्वरोजगार प्रशिक्षण पर खर्च हुए बाकी राशि बची है।
सामाजिक पुनर्वास के लिए 40 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें गैस पीड़ितों की विधवाओं के लिए पेंशन का भी प्रविधान है। 4399 महिलाओं को पेंशन मिल रही हैं। वर्ष 2011 से यह राशि एक हजार है जिसे बढ़ाया नहीं गया है। न ही किसी नए हितग्राही को शामिल किया गया है।
गैस राहत के उप सचिव केके दुबे ने बताया कि यूका परिसर में प्लांट में रखे कचरे को नष्ट करने के लिए सभी अनुमतियां मिल गई हैं। इसे जल्द ही नष्ट करने के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद ही जमीन में गड़े कचरा के बारे में विचार किया जाएगा। विभाग के पास ऐसी कोई रिसर्च भी नहीं है कि जमीन में कितना कचरा दबा है। उससे क्या नुकसान हो रहा है।

 

Next Post

दयोदय गौशाला में निर्माणाधीन दीवार गिरने से चार मजदूर दबे, इलाज के दौरान दो मजदूरों की मौत

जबलपुर। तिलवारा के पास स्थित दयोदय गौशाला में निर्माणाधीन दीवार अचानक गिर गई। हादसे में चार मजदूर बुरी तरह से घायल हो गए। इसके बाद घायलों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। रविवार को इलाज के दौरान दो मजदूरों की मौत हो गई। घटना की […]