“सफल” से पता चलेगा बच्चों के सीखने का लेवल, इंदौर के 20 फीसदी विद्यालयों ने ही कराया पंजीयन

DR. SUMIT SENDRAM

इंदौर। विद्यालयों में विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता पता करने के लिए सीबीएसई बाेर्ड ने तीन वर्ष पूर्व “स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालिसिस लर्निंग” यानी सफल टेस्ट शुरू किया था।
इस बार “सफल” को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया गया है। इसमें जनवरी में विद्यालयों को इस ऑनलाइन टेस्ट के लिए पंजीयन कराना था। हालांकि, तय मानक पूरे नहीं होने के चलते इंदौर के करीब 20 फीसदी विद्यालयों ने ही पंजीयन करवाया है।
“सफल” टेस्ट 22 जुलाई से प्रारम्भ हो चुके हैं, जाे 12 अगस्त तक चलेंगे।
बता दे कि सीबीएसई की तरफ से नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन करने के लिए “सफल” ऑनलाइन टेस्ट प्रारम्भ किया गया है। इस बार यह टेस्ट तीसरी, पांचवीं, छठीं और आठवीं क्लास के विद्यार्थियों का लिया जा रहा है।
इस टेस्ट में विद्यार्थी कितना सीख रहे हैं, उनकी योग्यता, दक्षता आदि का आकलन किया जाएगा। इस बार सफल टेस्ट के लिए जिले से 20 से अधिक स्कूलों में तीन स्लॉट में परीक्षा चल रही है। यह टेस्ट अंग्रेजी, गणित एवं विज्ञान विषय में लिया जा रहा है।
सीबीएसई मामलों के विशेषज्ञ उत्तम कुमार झा ने बताया कि “सफल” के लिए सीबीएसई ने मानक तय किए हैं। यह टेस्ट ऑनलाइन होते हैं। इसलिए स्कूल में एडवांस कम्प्यूटर सेटअप होना जरूरी है। सभी स्कूलों को “सफल” में शामिल होना चाहिए, लेकिन मानदंड पूरे नहीं होने से कम स्कूलों ने ही पंजीयन कराया है।
यह टेस्ट इसलिए भी जरूरी है, ताकि बच्चों को सही तरीके से मूल्यांकन हो सके। छात्र एक कक्षा से अगली कक्षा में तो आ जाते हैं, लेकिन कई बार सिलेबस के अनुसार सीख नहीं पाते हैं।
सीबीएसई मामलों के विशेषज्ञ श्याम अग्रवाल ने बताया कि “सफल” को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। तीन स्लॉट में हो रहे टेस्ट में एक घंटे में विषयवार 20 से 30 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट पूरे देशभर में चल रहा है।
सीबीएसई ने जो सर्कुलर जारी किया है। उसके अनुसार, “सफल” प्रोजेक्ट का मकसद सिर्फ विद्यार्थियों की दक्षताओं का आकलन करना है। यह न तो प्रतियोगिता है और न ही परीक्षा है।
“सफल” टेस्ट का उद्देश्य विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था को बेहतर करना है। सफल योग्यता आधारित मूल्यांकन है।
इसके लिए किसी विशेष प्रकार की कक्षा लेने या तैयारी करने की जरूरत नहीं है। सभी प्रतिभागी विद्यालयों को केवल विद्यालय-स्तरीय दक्षता रिपोर्ट ही प्रदान की जाएगी। संबंधित विद्यालय केवल खुद की सफल रिपोर्ट ही देख सकेगा। वही “सफल” की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

 

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